Author Archives: pariharsunil

बालकाण्ड में रामरूप से जीवमात्र की वंदना

रामरूप से जीवमात्र की वंदना   जड़ चेतन जग जीव जत सकल राममय जानि। बंदउँ सब के पद कमल सदा जोरि जुग पानि॥7(ग)॥…
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बालकाण्ड में संत और असंत वंदना: रामायण में सत्कर्म और कुकर्म का भेद

संत-असंत वंदना बंदउँ संत असज्जन चरना। दुःखप्रद उभय बीच कछु बरना॥ बिछुरत एक प्रान हरि लेहीं। मिलत एक दुख दारुन देहीं॥2॥ भावार्थ:-अब मैं…
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खल वंदना क्या है? रामायण के बालकाण्ड में इसका स्थान और अर्थ

खल वंदना चौपाई : बहुरि बंदि खल गन सतिभाएँ। जे बिनु काज दाहिनेहु बाएँ॥ पर हित हानि लाभ जिन्ह केरें। उजरें हरष बिषाद…
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बालकाण्ड में ब्राह्मण-संत वंदना का वर्णन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण

ब्राह्मण-संत वंदना   बंदउँ प्रथम महीसुर चरना, मोह जनित संसय सब हरना। सुजन समाज सकल गुन खानी, करउँ प्रनाम सप्रेम सुबानी। भावार्थ:-पहले पृथ्वी…
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