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श्री नाम वंदना: रामायण में भगवान के नाम की महिमा और प्रभाव

श्री नाम वंदना और नाम महिमा चौपाई :  बंदउँ नाम राम रघुबर को। हेतु कृसानु भानु हिमकर को॥ बिधि हरि हरमय बेद प्रान…
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श्री सीताराम धाम परिकर वंदना | रामायण बालकाण्ड में दिव्य स्तुति

श्री सीताराम-धाम-परिकर वंदना चौपाई : बंदउँ अवध पुरी अति पावनि। सरजू सरि कलि कलुष नसावनि॥ प्रनवउँ पुर नर नारि बहोरी। ममता जिन्ह पर…
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बालकाण्ड में वंदना: वाल्मीकि, वेद, ब्रह्मा, देवता, शिव और पार्वती की स्तुति

वाल्मीकि, वेद, ब्रह्मा, देवता, शिव, पार्वती आदि की वंदना सोरठा : बंदउँ मुनि पद कंजु रामायन जेहिं निरमयउ। सखर सुकोमल मंजु दोष रहित…
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कवि वंदना: रामायण बालकाण्ड में ऋषि वाल्मीकि की स्तुति

कवि वंदना चौपाई : एहि प्रकार बल मनहि देखाई। करिहउँ रघुपति कथा सुहाई॥ ब्यास आदि कबि पुंगव नाना। जिन्ह सादर हरि सुजस बखाना॥1॥…
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बालकाण्ड में रामरूप से जीवमात्र की वंदना

रामरूप से जीवमात्र की वंदना   जड़ चेतन जग जीव जत सकल राममय जानि। बंदउँ सब के पद कमल सदा जोरि जुग पानि॥7(ग)॥…
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बालकाण्ड में संत और असंत वंदना: रामायण में सत्कर्म और कुकर्म का भेद

संत-असंत वंदना बंदउँ संत असज्जन चरना। दुःखप्रद उभय बीच कछु बरना॥ बिछुरत एक प्रान हरि लेहीं। मिलत एक दुख दारुन देहीं॥2॥ भावार्थ:-अब मैं…
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खल वंदना क्या है? रामायण के बालकाण्ड में इसका स्थान और अर्थ

खल वंदना चौपाई : बहुरि बंदि खल गन सतिभाएँ। जे बिनु काज दाहिनेहु बाएँ॥ पर हित हानि लाभ जिन्ह केरें। उजरें हरष बिषाद…
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बालकाण्ड में ब्राह्मण-संत वंदना का वर्णन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण

ब्राह्मण-संत वंदना   बंदउँ प्रथम महीसुर चरना, मोह जनित संसय सब हरना। सुजन समाज सकल गुन खानी, करउँ प्रनाम सप्रेम सुबानी। भावार्थ:-पहले पृथ्वी…
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रामायण बालकाण्ड मंगलाचरण: अर्थ और महत्व

   मंगलाचरण      श्लोक : वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि।मंगलानां च कर्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ ॥1॥ भावार्थ:-अक्षरों, अर्थ समूहों, रसों, छन्दों और मंगलों को करने…
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भारतीय संत जिन्होंने रामायण का प्रचार किया

॥ रामक्था के भगीरथ ॥ शिवपुराण में कहा गया है कि दयालु मनुष्य, अभिमानशून्य व्यक्ति, परोपकारी और जितेंद्रीय ये चार पवित्र स्तंभ हैं,…
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